हड़प्पाकालीन नगरों का उदय एवं विस्तार


नमस्ते दोस्तों! मेरा नाम है अँकुर सक्सेना! मैं एक लेखक, कंप्यूटर प्रोग्रामर, वेब डेवलपर, ब्लॉगर, सेल्फ पब्लिशर और ट्रेवलर हूँ| मैं इतिहास, भूगोल, भारतीय राजनीति, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और तकनीकी से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर अपनी स्वयं की R&D और लेखन कार्य करता हूँ| जिनमें से कुछ को मैं अपनी इस ब्लॉगिंग वेबसाइट के माध्यम से प्रकाशित करता हूँ|

 

आज के इस ब्लॉग / लेख में हम हड़प्पाकालीन नगरों के उदय एवं उनके विस्तार के बारे में अध्ययन करेंगे|

 

तो आइये दोस्तों! आरम्भ करते हैं, आज का यह ब्लॉग / लेख........


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परिचय

 

सिन्धु घाटी सभ्यता जिसका काल लगभग 3300 ई०पू० – 1700 ई०पू० तक तथा परिपक्व काल 2400 ई०पू० – 1700 ई०पू० तक का माना जाता है| जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज तक उत्तर-पूर्व अफगानिस्तान, पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम और उत्तर भारत में फैली सभ्यता थी|

 

प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता और प्राचीन मेसोपोटामिया की सभ्यता के साथ-साथ, सिन्धु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता, प्राचीन विश्व की तीन प्रमुख प्रारम्भिक नदी घाटी सभ्यताओं में से एक थी| सम्मानित पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, “यह सभ्यता कम-से-कम 8000 वर्ष पुरानी सभ्यता है|यह प्राचीन सभ्यता, सिन्धु घाटी सभ्यता अथवा हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है|





व्याख्या

 

सिन्धु घाटी सभ्यता अथवा हड़प्पा सभ्यता, जिसका काल लगभग 3300 ई०पू० – 1700 ई०पू० तक तथा परिपक्व काल 2400 ई०पू० – 1700 ई०पू० तक का माना जाता है| इस प्राचीन सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी ने की थी| इस सभ्यता का भौगोलिक क्षेत्र, दक्षिणी एशिया था| जो प्रमुख रूप से भारत, पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के क्षेत्रों में विकसित और विस्तृत थी| सिन्धु घाटी सभ्यता, एक कांस्ययुगीन सभ्यता थी| इसके खोजे गये स्थलों को हड़प्पा स्थलों के नाम से जाना जाता है| इस सभ्यता के मूल निवासी द्रविड़ एवं भू-मध्य सागरीय थे|

 

सिन्धु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के खोजे गये नगरों में से प्रमुख हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगान, सुत्कांगेडोर, आलमगीरपुर, चन्हूदडों, राखीगढ़ी, आदि नगर थे| भारत में नगरीकरण की शुरुआत शिन्धु घाटी सभ्यता के खोजे गये नगरों से होती है| ऋग्वेदिक एवं उत्तर वैदिक काल में अर्थात् ईसा पूर्व छठी शताब्दी से पहले तक हमें नगरों के प्रमाण न के बराबर देखने को मिलते हैं|




इन प्राचीन स्थलों की खुदाई में प्राप्त हुये सिक्कों, लिखित साक्ष्यों तथा अन्य पूरातात्विक सामग्रियों के अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 500 BCE से भारत की आर्थिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होने लगे थे| जिसके परिणामस्वरूप भारत में नगरों का उदय होने लगा था| अपने उदय के बाद धीरे-धीरे इन नगरों ने अपना विकास किया| सिन्धु घाटी सभ्यता से मिले साक्ष्यों का अध्ययन करने से पता चलता है कि परिपक्व काल से पहले इस सभ्यता का स्वरुप भी ग्रामीण रहा होगा अर्थात् कृषि कार्य पर पूरी तरह से आधारित रहा होगा| परन्तु, समय के साथ-साथ आये बदलावों तथा आर्थिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों के फलस्वरूप परिपक्व काल तक आते-आते नगरों का उदय प्रारम्भ हो गया था|

 

समय गुजरने के साथ-साथ इन नगरों ने विकास किया| इन नगरों में यातायात के लिये चौड़ी सड़कों का निर्माण किया गया| रहने हेतु भव्य महलों एवं भवनों का निर्माण किया गया था| जिनमें पक्के और कच्चे दोनों तरह के भवन हुआ करते थे| सिन्धु घाटी सभ्यता के प्राचीन मेसोपोटामिया की सभ्यता के साथ व्यापारिक सम्बन्ध भी थे| जिसके विषय में हमें इन सभ्यताओं के स्थलों से प्राप्त हुए साक्ष्यों से जानकारी मिलती है| इन प्राचीन सभ्यताओं के मध्य सम्भवतः समुद्री मार्ग के माध्यम से व्यापार होता होगा|

 

हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख पत्तन नगर, लोथल था| हड़प्पा सभ्यता के स्थलों से खुदाई में प्राप्त हुये सिक्कों एवं मुहरों से इस बात की भी जानकारी मिलती है कि सिन्धु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता में लेन-देन की इकाई तथा विनिमय पद्दति उपस्थित थी| खुदाई में मिले बर्तनों एवं कांस्य की नग्न नृतकी की मूर्ति तथा चित्रकारी के साक्ष्यों से पता चलता है कि इस सभ्यता के लोगों को चित्रकला एवं शिल्प कला आदि की भी अच्छी-खासी जानकारी थी|

 

सिन्धु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता के एक प्रमुख नगर, मोहनजोदड़ो नगर से वृहद स्नानागार प्राप्त हुआ है| जिसका प्रयोग इस प्राचीन सभ्यता के लोगों के द्वारा सम्भवतः धार्मिक अनुष्ठानों, रीती-रिवाजों अथवा त्योंहारों आदि महत्त्वपूर्ण अवसर पर किया जाता होगा| मोहनजोदड़ो नगर से हमें एक वृहद अन्नागार अर्थात् विशाल भण्डार गृह भी प्राप्त हुआ है| जिसका प्रयोग हड़प्पावासी सम्भवतः प्राकृतिक आपदा जैसे कठिन समय में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिये खाद्य पदार्थों का संग्रहण किया करते थे|




निष्कर्ष

 

अतः हम कह सकते हैं कि हड़प्पा सभ्यता / सिन्धु घाटी सभ्यता में नगरों का उदय अचानक से नहीं होकर कालक्रमानुसार धीरे-धीरे हुआ| जिस प्रक्रिया में हड़प्पावासियों के द्वारा समय के साथ धीरे-धीरे आये बदलावों और आर्थिक व्यवस्थाओं में हुये परिवर्तनों के चलते गावों को त्यागकर, नगरों का निर्माण प्रारम्भ किया और परिपक्व काल में नगरों का अत्यधिक विकास किया| इसमें एक पैटर्न और देखने को मिलता है कि परिपक्व काल में नगरों के निर्माण के लिये हड़प्पावासियों ने ज्यादातर नवीन स्थानों का चयन किया और अधिकतर पुराने स्थानों को त्याग दिया था|

 

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तो दोस्तों! अभी के लिए इस लेख में बस इतना ही, जल्द मिलते हैं, एक नए लेख के साथतब तक के लिए खुश रहिये, सुरक्षित रहिये, स्वस्थ रहिये और पढ़ते रहिये|