प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता [भाग-1]

प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता [भाग-1]


नमस्ते दोस्तों,

मैं अँकुर सक्सेना , आप सभी पाठकों का स्वागत करता हूं, अपनी प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता की श्रृंखला के भाग-1 में| इस लेख में हम प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता से सम्बन्धित कुछ आधारभूत विषयों एवं तथ्यों का अध्य्यन करेंगे| तो आइये, प्रारम्भ करते हैं, प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता की श्रृंखला का भाग-1...

परिचय

प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता , स्थापत्य एवं नगर नियोजन में अति-विकसित नगरीय सभ्यताओं में से एक थी| ऐसा प्रतीत होता है कि इस सभ्यता के लोग भवन निर्माण और नगर निर्माण की उच्च तकनीकों के ज्ञाता थे| इस सभ्यता के सम्राटों अर्थात फैरो के द्वारा अनेक भव्य और अद्भुत पिरामिडों, स्मारकों, मन्दिरों आदि का निर्माण करवाया गया था| ‘प्राचीन राजशाही’ (Old Kingdom) के ‘चौथे राजवंश’ (4th dynasty) के शासक ‘खुफू’ (Khufu) के द्वारा निर्मित कराया गया विश्व के आश्चर्यों में से एक कहा जाने वाला ‘द ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गीजा’ (The Great Pyramid of Giza) एक प्रमुख स्थान रखता है|
प्राचीन मिस्र , नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है। यह सभ्यता 3150 ई.पू. के आस-पास, प्रथम फैरो के शासन के तहत ऊपरी और निचले मिस्र के राजनीतिक एकीकरण के साथ समाहित हुई और अगली तीन सदियों में विकसित होती रही| इसका इतिहास स्थिर राज्यों की एक श्रृंखला से निर्मित है, जो सम्बंधित अस्थिरता के काल द्वारा विभाजित है, जिसे मध्यवर्ती काल के रूप में जाना जाता है। प्राचीन मिस्र , नवीन साम्राज्य के दौरान अपने शिखर पर पहुँची, जिसके बाद इसने मंद पतन की अवधि में प्रवेश किया। इस उत्तरार्ध काल के दौरान मिस्र पर कई विदेशी शक्तियों ने विजय प्राप्त की और फ़ैरो का शासन आधिकारिक तौर पर 31 ई.पू. में तब समाप्त हो गया, जब प्रारम्भिक रोमन साम्राज्य ने मिस्र पर विजय प्राप्त की और इसे अपना एक प्रान्त बना लिया।
प्राचीन मिस्र की सभ्यता की सफलता , नील नदी घाटी की परिस्थितियों के अनुकूल ढलने की क्षमता से आंशिक रूप से प्रभावित थी। इस उपजाऊ घाटी में, उम्मीद के मुताबिक बाढ़ और नियंत्रित सिंचाई के कारण आवश्यकता से अधिक फसल होती थी, जिसने सामाजिक विकास और संस्कृति को बढ़ावा दिया. संसाधनों की अधिकता के कारण, प्रशासन ने घाटी और आस-पास के रेगिस्तानी क्षेत्रों में खनिज दोहन , एक स्वतंत्र लेखन-प्रणाली के प्रारम्भिक विकास , सामूहिक निर्माण और कृषि परियोजनाओं का संगठन , आस-पास के क्षेत्रों के साथ व्यापार और विदेशी दुश्मनों को हराने और मिस्र के प्रभुत्व को मज़बूत करने का इरादा रखने वाली सेना को प्रायोजित किया। इन गतिविधियों को प्रेरित और आयोजित करना संभ्रांत लेखकों , धार्मिक नेताओं और प्रशासकों की नौकरशाही थी, जो एक फ़ैरो के शासन के अधीन थे, जिसने धार्मिक विश्वासों की एक विस्तृत प्रणाली के संदर्भ में मिस्र के लोगों की एकता और सहयोग को सुनिश्चित किया।
प्राचीन मिस्र के लोगों की कई उपलब्धियों में शामिल है उत्खनन , सर्वेक्षण और निर्माण की तकनीक जिसने विशालकाय पिरामिड , स्फिन्क्स , मंदिर और ओबिलिस्क के निर्माण में मदद की; गणित की एक प्रणाली , एक व्यावहारिक और कारगर चिकित्सा प्रणाली , सिंचाई व्यवस्था और कृषि उत्पादन तकनीक , प्रथम ज्ञात पोत , मिस्र के मिट्टी के बर्तन और कांच प्रौद्योगिकी , साहित्य के नए रूप और ज्ञात सबसे प्रारम्भिक शांति संधि , ने एक स्थायी विरासत छोड़ी| प्राचीन मिस्र की सभ्यता की कला और स्थापत्य को व्यापक रूप से अपनाया गया और इसकी प्राचीन वस्तुओं को दुनिया के दूसरे कोने तक ले जाया गया । इसके विशाल खंडहरों ने यात्रियों और लेखकों की कल्पना को सदियों तक प्रेरित किया। प्रारम्भिक आधुनिक काल के दौरान प्राचीन वस्तुओं और खुदाई के प्रति एक नए सम्मान ने मिस्र और दुनिया के लिए मिस्र सभ्यता की वैज्ञानिक पड़ताल और उसकी सांस्कृतिक विरासत की अपेक्षाकृत अधिक प्रशंसा को प्रेरित किया।
पत्र-पत्रिकाओं , पुस्तकों , समाचार पत्रों , इन्टरनेट आदि में इस प्राचीन महान सभ्यता के लोगों के द्वारा बनवाए गए पिरामिडों
, स्फिन्क्स , मन्दिरों , स्मारकों आदि की तस्वीरें देखकर, उनके विषय में लेख आदि पढ़कर मन में मिस्त्र की इस प्राचीन सभ्यता के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने को लेकर लोगों में एक विशेष प्रकार की जिज्ञासा और कोतुहल देखने को मिलता है| प्राचीन मिस्त्र की ये महान सभ्यता आज भी एक अलग आकर्षण और चर्चा का विषय है| इस महान प्राचीन सभ्यता के ऊपर कई विद्वान एवं इतिहासकार अपने-अपने अध्ययन और सर्वेक्षण प्रस्तुत कर चुके हैं और कई अभी भी इस प्राचीन सभ्यता से सम्बन्धित अध्ययन और सर्वेक्षण कार्य में लगे हुए हैं| इस महान प्राचीन सभ्यता को लेकर कई सारे मिथ भी विद्यमान हैं| प्राचीन मिस्त्र की इस महान सभ्यता से सम्बन्धित प्रत्येक विषय , मन में एक अलग ही प्रकार का कोतूहल और उत्सुकता उत्पन्न कर देता है, जैसे: यहाँ के शासक अर्थात फैरो , उनका पहनावा , रहन-सहन , उनके द्वारा बनवाई गयी इमारतें , पिरामिड एवं मन्दिर , उनके देवी-देवता आदि| इस प्राचीन सभ्यता से सम्बन्धित सबसे महत्तवपूर्ण विषय , जो आम लोगों से लेकर इतिहास के विद्वानों , पुरातत्त्ववेत्ताओं , इतिहासकारों और विद्यार्थियो आदि सभी के मन में उत्सुकता और इसके अध्ययन के प्रति जिज्ञासा बनाए रखती है, वो है इस सभ्यता के पिरामिडों और मकबरों से प्राप्त हुई मृत शासकों और अन्य उच्च श्रेणी के लोगों की ममी (Mummy) |

इसके अतिरिक्त एक अन्य विषय है, इस प्राचीन नगरीय साम्राज्य पर शासन करने वाली कुछ प्रमुख महिला सम्राट अर्थात महिला फैरो | जैसे: हत्शेपसुत (Hatshepsut) , नेफेरतिति (Nefertiti) , नेफेर्तरी (Nefertari) , क्लियोपैट्रा (Cleopatra) आदि, जो लोगों के मन में मिस्त्र की इस प्राचीन सभ्यता के अध्ययन को लेकर उत्सुकता बनाए रखता है|

तो आइये मेरे साथ चलिए, इस महान प्राचीन सभ्यता के अद्भुत सफ़र पर.....

मिस्त्र: नील नदी का उपहार

मिस्त्र संस्कृति क्षेत्र , आसवान के उत्तर और डेल्टा के उत्तर की ओर नील घाटी के पहले कैटेरेक्ट के बीच में स्थित है| नील नदी घाटी की लम्बाई 700 किमी है, परन्तु इसकी औसतन चौड़ाई 10 किमी के लगभग है| यह दो मरुस्थलों के बीच समाप्त हो जाती है| नील नदी के डेल्टा में तीन प्रमुख उप-धाराएँ और उनकी शाखाएं हैं| प्राचीन मिस्त्रवासी इस क्षेत्र को निचले मिस्त्र और दक्षिण में स्थित ऊपरी मिस्त्र के दो प्रमुख भागों में विभाजित करते थे| प्रौगेतिहासिक काल से यहाँ के निवासी न केवल कछार घाटी में बल्कि पश्चिमी मरुस्थल के निकट की पहाड़ियों और पूर्वी मरुस्थल की वादियों अर्थात मौसमी नदियों का प्रयोग किया करते थे| पश्चिमी मरुस्थल में कुछ झरने भी थे, जिसके कारण वहां थोड़ी-बहुत हरियाली भी थी| जब वहां पर वर्षा होती थी, तो पशु-पक्षी , चारा चरने के लिए आ जाते थे| वहां शुतरमुर्ग , हिरन और साकिन (Ibex) का शिकार किया जाता था| इसलिए प्राप्त हुई कलाकृतियों में पश्चिमी मरुस्थल के पुरुषों को विशेष रूप से चित्रित किया गया है| इन कलाकृतियों में पुरुषों के बाल घुंघराले दिखाए गए हैं और उन्होंने अपने सिर पर पंख लगा रखे हैं|
पूर्वी मरुस्थल में भी कई वादियाँ है और वहां पर भी कभी-कभी पशु चरने के लिए आ जाया करते थे| यहाँ कई प्रकार की धातुएं , जैसे: तांबा , सोना आदि इमारत बनाने के काम में आने वाली ईटें-पत्थर , जैसे: ग्रेनाइड , पौरफिरी , बलुआ-पत्थर आदि और अन्य मूल्यवान पत्थर , जैसे: अमेथिस्ट , सुलेमानी , कार्नेलियन , पाराभाशी सिल्खडी आदि पाए जाते थे| इन सूखा क्षेत्रों में उत्कृष्ट दानेदार और मजबूत लकड़ियाँ नहीं होती थीं, इसलिए नाव बनाने के लिए यहाँ के लोग देवदार की लकड़ी का उपयोग किया करते थे, जोकि लेबनान से आयातित की जाती थी|
नील नदी काफी लम्बी नदी है| मानसून के समय इथोपिया के ऊँचे पहाड़ों से इसमें पानी भरता है और इस प्रकार जून में बाढ़ , आसवान तक पहुँच जाती है| इसके आगे यह बाढ़ , उत्तर की ओर बढ़ती है| ऊपरी मिस्त्र में नदी के दोनों तरफ बसे (लगभग 7x5 किमी) क्षेत्रों में बाढ़ का पानी लगभग 4 से 6 सप्ताहों तक भरा रहता है और इसके बाद अक्टूबर के आरम्भ में बाढ़ का पानी , घटना चालू हो जाता है और धीरे-धीरे ज़मीन पर उपजाऊ गाद छोड़ जाता है|
डेल्टा में बाढ़ के बाद भी बेसिन में पानी भरा रहता है| जिस वजह से यहाँ के कुछ भागों में ही खेती हो पाती है| यहाँ सरकंडा बहुत अधिक और घने रूप में उगता है और यह डेल्टा , इजिप्ट का एक प्रमुख चारागाह है, जहाँ पर जानवरों की संख्या , बहुत अधिक है| बाढ़ समाप्त होने के बाद, जानवर एवं पशु-पक्षी यहाँ चारा चरने और भोजन की खोज में आ जाते हैं|
वहीँ, यदि प्राचीन मिस्त्र (इजिप्ट) की बात करें, तो प्राचीन मिस्त्रवासी , पशुओं के अलावा बत्तख और हंस भी पालते थे| वे लोग इसके अतिरिक्त भी कई अन्य विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षियों को पकड़कर, उन्हें पालतू बनाकर अपने पास रख लिया करते थे और उन्हें खूब खिलाया-पिलाया करते थे| वे लोग महत्तवपूर्ण सामाजिक समारोहों एवं उत्सवों आदि के समय पर इन पशु-पक्षियों की बलि भी चढ़ाते थे| प्राचीन काल में इस डेल्टा में पैपिरस भी उगता था, जो अब लगभग विलुप्त प्रायः हो गया है| सरकंडे की बाती का छिलका उतारकर उन्हें गीला करके , ठोंक-पीटकर , चीकना किया जाता था| दक्षिणी एशिया की अपेक्षा गेंहू , जौ , फलियां और अन्य रबी की फसलों की खेती करने में बहुत कम श्रम लगता था| प्राचीन मिस्त्र में तीसी का पौधा उगाया जाता था एवं इसका उपयोग कपड़े बनाने में किया जाता था| प्राचीन मिस्त्रवासियों को अपने स्थानीय प्राकृतिक बेसिन पर मुख्य रूप से ध्यान देना होता था| बाढ़ के पानी के बहाव को ज्यादा से ज्यादा इलाकों में ले जाने के लिए किसी स्थान पर कटाव बनाने पढ़ते थे, तो किसी स्थान पर मिट्टी की दीवारें बनानी पढ़ती थीं, जिससे कि बाढ़ के पानी को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया जा सके|
कभी-कभी बेसिन , प्राकृतिक रूप से ऊँचे और नीचे इलाकों में विभाजित रहता था| इसके अलावा नील नदी का ढलाव भी बेहद मामूली है, जिस वजह से प्राचीन मिस्त्र में नहरों का उपयोग नहीं किया गया| दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो सिंचाई कार्य में न तो बहुत मेहनत करनी पढ़ती थी और न ही इसके लिए सरकार पर आश्रित रहना पड़ता था| बाढ़ ही इसका निर्धारण कर लेती थी और स्थानीय बेसिन की प्रकृति के अनुरूप ही सबकुछ तय होता था| इस प्रकार मिस्त्र , राज्य और राजत्व की उत्पत्ति के सम्बन्ध को सिंचाई की जरूरतों से जोड़कर नहीं देखा जा सकता| मिस्त्र , प्राचीन काल से ही एक महत्तवपूर्ण उत्पादक भूमि रही है और रोमन युग तक यह रोम नगर को गेंहू का निर्यात किया करता था| बीज और श्रम की तुलना में उपज कहीं अधिक थी| इस प्रकार यहाँ की जनसंख्या भी काफी सघन थी| पिरामिडों के निर्माण काल की बात की जाए, तो उस समय विशाल पिरामिडों के निर्माण में काफी बड़ी संख्या में मजदूरों को लगाया गया होगा| सम्भवतः इनमें से काफी सारे मजदूर दास भी रहे होंगे और कई सम्पूर्ण घाटी से मंगवाए गए मजदूर रहे होंगे| परन्तु इसके बावजूद भी मिस्त्र के कृषि-उत्पादन में कोई बाधा नहीं पहुंची होगी|
सिद्धान्ततः जहाँ की जनसंख्या बहुत सघन होती है, वहां पर एक ख़ास समय और महत्तवपूर्ण केन्द्रों पर जमीन की कमी उत्पन्न हो सकती है, जिससे कि भूमि प्राप्ति के लिए संघर्ष की स्थिति बन सकती है, तो संघर्ष में भाग लेने वाले दलों में से एक दल की हार होती है और दूसरे दल की जीत होती है और ऐसी परिस्थिति में हारने वाले दल को अपनी भूमि को खोना
पड़ता है और जीतने वाले दल को अपने अधिकार-क्षेत्र वाली भूमि के साथ-साथ हारने वाले दल की भूमि का भी स्वामित्व प्राप्त हो जाता है| परन्तु साक्ष्यों के अध्ययन से ऐसा नहीं लगता है कि मिस्त्र में राज्य के उदय के ठीक पहले जनसंख्या का इतना अभिक दबाव रहा होगा| इसलिए राजवंश-पूर्वकाल अथवा प्राचीन युग में युद्ध नायकों की स्थिति कैसी थी, यह बता पाना बेहद कठिन कार्य है और इस विषय पर विद्वान कुछ सही-सही नहीं बता पाते हैं|

प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता से सम्बन्धित कुछ महत्तवपूर्ण तथ्य

प्राचीन मिस्त्र में 3500 ई०पू० और 3000 ई०पू० के बीच कुछ राजनीतिक-सैनिक / आर्थिक महत्त्व के केन्द्रों के रूप में कुछ बस्तियां अवश्य स्थापित हो गयी थीं| दक्षिणी / ऊपरी मिस्त्र (Upper Egypt) , नेखेन (Nekhen) / हिराकानोपोलिस (Hierakonpolis) में कुछ पुरातत्ववेत्ताओं को एक बाहरी दीवार मिली है, जिसमें पत्थर के खम्भों के अवशेष और एक अहाता मिला है| इसके अतिरिक्त सुन्दर कढ़े हुए पत्थर के कलश , हाथी दांत से निर्मित सामान और श्रंगार रंगपट्टिकाएं आदि, जिसमें से कुछ में राजा की सैन्य शक्ति को दर्शाया गया है, प्राप्त हुए हैं| यहाँ पर एक कब्रिस्तान भी मिला है, जिसमें कुछ दफ़न किये गए शवों के अवशेष और उनके साथ रखे गए सोना , चांदी , फिरोजा , कार्नेलियन , गार्नेट आदि के गहने भी मिले हैं| ऐसा प्रतीत होता है कि ये कब्रें सम्भवतः संभ्रान्त व्यक्तियों की रही होंगी|
काहिरा के दक्षिण में डेल्टा के उद्गम स्थल के पास मादी नामक बस्ती थी| जहाँ से लगभग 3500 ई०पू० के आसपास के कई सांस्कृतिक अवशेष प्राप्त हुए हैं, जैसे: ऊपरी मिस्त्र (Upper Egypt) के जैसी नक्काशी की हुई रंगपट्टिकाएं और मिट्टी के बर्टन आदि| इनके अलावा कुछ ऐसे घर और मिट्टी के बर्टन भी मिले हैं, जो फिलिस्तीनी मूल के हैं| इस जगह पर तांबा , खच्चर की हड्डी और ऊपरी मिस्त्र की वस्तुएं प्राप्त हुई हैं| जिनको देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मादी से नील घाटी , सिनाई और फिलिस्तीन के बीच व्यापार का संचालन होता होगा| यह राजनितिक एकीकरण का युग था| जिसमें फैरोह (Pharaoh) / राजा कुछ देवी-देवताओं से सुरक्षा और संरक्षण प्राप्त करते थे और ऊपरी मिस्त्र (Upper Egypt) तथा निचले मिस्त्र (Lower Egypt) दोनों के मुकुट पहनते थे| इस समय नील घाटी में काफी एकीकृत भोतिक संस्कृति विकसित हुई| इस काल में मिस्त्र में लेखनकला का भी जन्म हुआ और ताम्र धातु विज्ञान से सम्बन्धित प्रोधोगिकी भी विकसीत हुई| पहले कुछ इतिहासकारों का ऐसा मानना था कि दी ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गीजा का निर्माण बंदी बनाए गए मजदूरों से करवाया गया था| परन्तु अब कुछ इतिहासकारों का मत है कि इस विशाल और अद्भुत पिरामिड का निर्माण कुछ शिल्प मजदूरों (Craft workers) के द्वारा किया गया था, जिन्हें उनकी प्रतिभा और श्रम के लिए उचित अनुदान भी दिया गया था|
यह महान पिरामिड उस युग की अद्भुत और अनुपम , कलाकृति और उपलब्धि थी| पिरामिड , विशाल पत्थरों से निर्मित विशालकाय स्मारक और मकबरे हैं, जिनमें न केवल प्राचीन मिस्त्र के मृत शासकों / फैरो के शव , ममिफिकेशन करके सुरक्षित रखे जाते थे, बल्कि यहाँ उन मृत और देवत्य प्राप्त फैरो की पूजा-अर्चना भी की जाती थी| प्राचीन मिस्त्र के फैरो ने सम्भवतः यह पिरामिड अपने और अपने परिवारीजनों और कुछ उच्च वर्गीय लोगों के मृत शरीरों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से बनवाए होंगे| प्राचीन मिस्त्र में मृत शासकों को देवता के सामान समझा जाता था और मिस्त्रवासियों के द्वारा इन पिरामिडों और मकबरों पर मृत फैरो की पूजा भी की जाती थी| प्राचीन मिस्त्र में मिस्त्रवासियों का ऐसा मानना था कि म्रत्यु के बाद की उनकी ज़िन्दगी में कोई दिक्कत नहीं आए, इसलिए फैरो के मृत शरीरों के साथ उनके दैनिक जीवन और ऐशो-आराम के सामान भी पिरामिडों और मकबरों में रख दिए जाते थे |
प्राचीन मिस्त्र के फैरो ने अपने शरीरों के ममिफिकेशन भी सम्भवतः इसीलिए ही करवाए होंगे कि मृत्यु के बाद भी उनके शरीर सुरक्षित रह सकें और यदि उनका दोबारा जन्म हो, तो वे अपने ही शरीर में वापस लौटें | कुछ इतिहासकारों और पुरातत्त्ववेत्ताओं का ऐसा भी मत है कि प्राचीम मिस्त्र में ममिफिकेशन की प्रक्रिया केवल फैरो, उनके परिवार के सदस्यों और कुछ खास वर्ग के लोगों के लिए ही थी| यह प्रक्रिया आम जनता के लिए नहीं थी | सम्भवतः उनके शरीरों को साधारण तरीके से दफ़नाने की प्रक्रिया रही होगी| कई विशाल पिरामिड डेल्टा के शीर्ष पर बने हैं, जहाँ नील नदी के बाएं तट पर मेम्फिस (Memphis) नामक शहर होने का भी पता चला है| सभी प्रारम्भिक सम्राटों / फैरो की ताजपोशी मेम्फिस में ही हुई थी| इसी के बगल में सामन्त वर्ग के पत्थर से निर्मित मकबरे मिले हैं, जिसे मस्तबा के नाम से जाना जाता है|
इसके अलावा एबिडोस (Abydos) नाम से एक दूसरा केन्द्र भी मिलता है| ऐसा लगता है कि इसमें नव-सम्भ्रांत वर्ग रहा करता होगा| इसका अनुमान इस बात से लगता है कि यहाँ के मकबरे ईटों से निर्मित हैं और इन पर छतें भी हैं | यहाँ से नौकाओं और जेवरात आदि के प्रारूप भी मिलते हैं| इनके चारों ओर सामान रखने के कक्ष भी मिले हैं| अनुमानतः यह कक्ष , मृतक के लिए खाने-पीने का सामान रखने के लिए बनाए गए होंगे, ताकि मृत्यु के बाद के जीवन में उसे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो | बड़े मकबरों के चारों ओर छोटी-छोटी कब्रें भी बनी हुई हैं| प्राचीन मिस्त्र में फैरो की मृत्यु के बाद उनके शरीर का ममिफिकेशन किया जाता था|
उस समय के लोग अपने सम्राटों के मकबरों में उनकी ममी (मृत शरीरों) के पास उनकी दैनिक आवश्यकता की वस्तुयें , खाने-पीने की सामग्री एवं अन्य विलासिता की चीजें भी रखा करते थे, जिससे उन्हें मृत्यु के बाद के जीवन में किसी भी बात की कोई तकलीफ न हो | कुछ स्थानों पर तो फैरो की ममी (मृत शरीर) के पास उनके परिवार के लोग और मिस्त्र के निवासी , देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और अन्य भेंट भी चढ़ाया करते थे| भौतिक समृद्धि , उत्कृष्ट लेखन , चित्रकला , पिरामिडों , मन्दिरों आदि की दीवारों पर बने भव्य चित्र , पिरामिडों की इमारतों और शवगृह स्मारकों के सांस्कृतिक महत्तव तथा मृत सम्राटों अर्थात फैरो की पूजा , कई पत्थरों और धातुओं पर उत्कृष्ट कलाकृतियों और न्यूबिया , सिनाई , फिलिस्तीन और भू-मध्य सागरीय द्वीपों से लगातार संपर्क , प्राचीन मिस्त्र की महान सभ्यता की कुछ महत्तवपूर्ण विशेषताएं थीं|
तो दोस्तों, प्राचीन मिस्त्र की श्रृंखला के भाग-1 में बस इतना ही| आशा करता हूँ कि आप सबको यह लेख अच्छा लगा होगा| यदि आपको मेरा यह लेख पसन्द आया हो, तो कृपया लेख के अन्त में दिए गए कमेंट बॉक्स में अच्छे-अच्छे कमेंट्स के द्वारा मुझे प्रोत्साहन प्रदान करें| और, यदि आपने अभी तक मेरे ब्लोग्स को सब्सक्राइब नहीं किया है, तो कृपया इस पेज के ऊपर दिए Enter your email address में अपनी ईमेल आईडी के द्वारा मेरे ब्लोग्स को सब्सक्राइब करें| और कृपया मेरे इस लेख के लिंक को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें| यदि मुझसे प्राचीन मिस्त्र से सम्बन्धित किसी महत्तवपूर्ण विषय अथवा तथ्य को लिखते समय कोई त्रुटि रह गयी हो| तो, उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ और आपके बहुमूल्य सुझावों का अभिलाषी हूँ|

अभी के लिए प्राचीन मिस्त्र की श्रृंखला के इस भाग में बस इतना ही| जल्द मिलते हैं, इस श्रृंखला के अगले भाग के साथ| तब तक के लिए खुश रहिये, स्वस्थ रहिये, सुरक्षित रहिये और पढ़ते रहिये|

References

Ancient Egypt by David Silverman
IGNOU MA History Books-MHI-01 प्राचीन और मध्ययुगीन समाज [खंड-2 कांस्ययुगीन सभ्यताएँ]
Ancient Egypt
प्राचीन मिस्र
Giza pyramid complex
Egyptian pyramids
Sphinx
Egyptian Mummies
Old Kingdom of Egypt
Fourth Dynasty of Old Kingdom
Pharaohs
5 Great Female Rulers of Ancient Egypt
When Women Ruled the World: Six Queens of Egypt by Kara Cooney


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Announcement! प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता श्रृंखला
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